Earthing in Hindi – अर्थिंग क्या होती है – प्रकार, फायदे और कैसे की जाती है?

Earthing in Hindi – क्या आपने कभी अपने घर, दूकान या अन्य किसी जगह पर किसी बिजली के उपकरण को छूने पर करंट महसूस किया है? आमतौर पर हम सबको कभी न कभी करंट लग ही जाता है। कभी ये करंट हल्का झटके के रूप में होता है तो कई बार ये जानलेवा भी साबित हो सकता है। ऐसे करंट लगने से बचने के लिए हमें अपने घरो या अन्य इमारत में अर्थिंग करने की सलाह दी जाती है। ये अर्थिंग क्या होती है? अर्थिंग कैसे हमें करंट लगने से बचाती है? इसके फायदे, प्रकार और Earthing करने की प्रक्रिया क्या होती है? ऐसे सभी सवालों के जवाब इस आर्टिकल में आपको मिलेंगे।

किसी भी बिजली उपकरण से अतिरिक्त करंट को धरती में पहुचने की सरल प्रक्रिया को अर्थिंग कहते है। Earthing करने का मुख्य उद्देश्य इलेक्ट्रिक शॉक लगने से रोकने के साथ में बिजली के उपकरणों को अतिरिक्त करंट से होने वाले नुकसान को रोकना होता है। इसलिए आम तौर पर इमारत के निर्माण के समय ही उसमे अर्थिंग कर दी जाती है जिससे भविष्य में करंट का खतरा ना रहे। अर्थिंग से आसमानी बिजली गिरने पर होने वाले नुकसान से भी बचाव होता है। जरुरत और फायदे के अनुसार अर्थिंग कई प्रकार से की जाती है, जिसके बारे में नीचे विस्तार से बात करेंगे।

अर्थिंग क्या होती है Earthing in Hindi
Earthing in Hindi

अर्थिंग क्या होती है – What is Earthing in Hindi

अर्थिंग एक ऐसे प्रक्रिया होती है जिसमे एक कम प्रतिरोध की तार के माध्यम से विद्युत को जमीन (Earth) तक पहुचाया जाता है। जिससे जब किसी उपकरण में कोई फॉल्ट होता है तो करंट जमीन में चला जाता है और उस उपकरण को नुकसान से बचाने के साथ में इलेक्ट्रिक शॉक से भी बचाता है। Earthing में कम प्रतिरोध की तार (low resistance wire) का उपयोग इसलिए किया जाता है ताकि करंट आसानी से बिना रुकावट के जमीन में पहुच जाए।

किसी भी इलेक्ट्रिक उपकरण या इमारत में अर्थिंग करने का उद्देश्य इलेक्ट्रोक्यूशन (बिजली लीकेज) के खतरे से बचाना या खतरे को कम करना होता है। उदाहरण के लिए अगर किसी उपकरण में कोई फॉल्ट होता है तो बिजली उस उपकरण के उस हिस्से तक भी चली जाती है जहाँ नहीं जानी होती, ऐसे में उपकरण में नुकसान होने के साथ में, उस हिस्से में करंट आने का भी डर बन जाता है। ऐसे में अगर अर्थिंग होगी तो फॉल्ट करंट जमीन में पहुंच जाता है, जिससे करंट उपरकण में लीक कम होता है।

जब किसी ईमारत में Earthing हो जाती है तो उस घर या ऑफिस में टेलीविज़न, एयर कंडीशनर, फ्रिज, माइक्रोवेव या अन्य उपकरण भी अर्थिंग के जरिए जमीन से जुड़े होते है और फॉल्ट होने पर इनमे आने वाले करंट से सुरक्षित रहते है

अर्थिंग कितने प्रकार की होती है – Type of Earthing in Hindi

अर्थिंग के उद्देश्य और प्रक्रिया के आधार पर Earthing 4 प्रकार की होती है। Pipe, Plate, Wire और Rod Earthing. नीचे हम इन सभी तरह की अर्थिंग के बारे में जानेंगे।

1. पाइप अर्थिंग (Pipe Earthing in Hindi)

किसी भी बिल्डिंग या उपकरण में पाइप अर्थिंग बेहतरीन और असरदार तरीका है जिसके जरिए विद्युत दुर्घटना के समय बिजली को जमीन तक पहुचाई जाती है। इस अर्थिंग को करने के लिए 2-3 मीटर लम्बा गैल्वनाइज्ड स्टील जमीन में वर्टिकली दबाया जाता है जो earth electrode के रूप में काम करता है।

जिस जगह पाइप अर्थिंग की जाएगी वहां की जमीन की मिटटी में नमी और करंट अमाउंट उस पाइप की लम्बाई और गहराई निर्धारित करने में मदद करेगा। एक औसत नमी वाली जगह पर 2.5 मीटर लम्बा पाइप और 38 MM व्यास वाला पाइप अर्थिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है। Pipe Earthing को करने में खर्चा भी ज्यादा नहीं आता इसलिए इस तरह की Earthing काफी की जाती है।

2. प्लेट अर्थिंग (Plate Earthing in Hindi)

जैसा की इसके नाम से ही पता चलता है इस प्रकार की अर्थिंग के लिए प्लेट का इस्तेमाल किया जाता है। Plate Earthing में Copper or Galvanized Iron की Plate को अर्थिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस प्लेट को पृथ्वी के अंदर 3 मीटर गहराई तक वर्टिकली गाढ़ा जाता है। जमीन के अंदर इस प्लेट के चारो तरह नमक, चारकोल और रेत से कवर किया जाता है।

जमीन के अंदर गढ़ी प्लेट को एक तार (Wire) से जोड़ा जाता है जिसका एक हिस्सा बहर छोड़ा जाता है जो विद्युत आवेश को पुनर्निर्देशित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जमीन के अंदर प्लेट के पास नमी बनाये रखना जरुरी होता है जिसके लिए एक 19 MM व्यास का पाइप उससे जोड़कर बाहर निकाला जाता है जिसके जरिए पानी अंदर डालकर नमी बनाई जाती है।

3. तार या स्ट्रिप अर्थिंग (Strip Earthing in Hindi)

Strip Earthing में धातु की पत्ती को जमीन में गाडा जाता है जिसके जरिए इलेक्ट्रिक एनर्जी को जमीन में पहुचाकर इलेक्ट्रिक शॉक से बचाव किया जाता है। धातु की पत्ती को GI Pipe के साथ जमीन में दबाया जाता है और इसके आस पास केमिकल कंपाउंड फैलाया जाता है। हालाँकि स्ट्रिप अर्थिंग का अधिक उपयोग नहीं किया जाता है।

4. रॉड अर्थिंग (Rod Earthing in Hindi)

ये एक अर्थिंग करने का आसान तरीका होता है जिसमे बस एक तांबे की छड (रॉड) को धरती में गाड दिया जाता है और उसके बाहर के सिरे को तार से जोड़ कर अर्थिंग दी जाती है। जितनी अधिक रोड के लम्बाई होगी उतनी का प्रतिरोध पृथ्वी द्वारा होगा। इस प्रकार की अर्थिंग रेतीले एरिया में ज्यादा कामयाब रहती है। Rod Earthing करनी बहुत आसान है तो इसमें खर्चा भी बहुत कम आता है।

अर्थिंग करने के फायदे – Earthing Benefits in Hindi

अर्थिंग क्या होती है और ये कितनी प्रकार की होती है ये तो आप जान गए, अब आगे जानते है इसके फायदे क्या होते है। नीचे Earthing के फायदे दिए गए है :

  • अगर आपके घर, दूकान या अन्य किसी स्थान पर अर्थिंग की गई है तो वहां पर बिजली के उपकरणों में ऐसे जगह करंट आने से बचाव होता है जहाँ छूने से करंट लग सकता है। सरल भाषा में कहे तो किसी बिजली के झटके से बचाव हो जाता है।
  • सही से की गई Earthing के बाद हाई वोल्टेज या ओवरलोड होने पर भी उपकरण को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुचता।
  • अर्थिंग होने से पॉवर लीकेज के समय होने वाला आग का खतरा भी कम होता है।
  • आसमानी बिजली से इमारत को सुरक्षित रखने का सबसे असरदार तरीका भी Earthing ही होता है।

दोस्तों आज आपने जाना अर्थिंग क्या होती है – इसके फायदे, प्रकार और करने का तरीका – Earthing in Hindi? हम आशा करते है इस आर्टिकल से आपको अर्थिंग से जुडी पूरी जानकारी मिल गई होगी। इस विषय में अन्य कोई भी सवाल आप कमेंट्स के जरिए हमसे पूछ सकते है।

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